राजस्थान की प्राचीन सभ्यताएं एवं पुरातात्विक स्थल
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इतिहास शब्द इति + हास दो शब्दों से मिलकर बना है जिसका शाब्दिक अर्थ होता है “निश्चित रूप से ऐसा ही हुआ होगा अर्थात बीती हुई घटनाओं का अध्ययन जिस शास्त्र में किता जाता है वह इतिहास कहलाता है
विश्व इतिहास का पिता हैरोडौट्स को कहा गया है इसने हिस्टोरिका नामक ग्रन्थ की रचना की की जिसमे भारत एवं फारस देशों के मध्य सम्बन्धों का वर्णन मिलता है
भारतीय इतिहास का पिता कृष्ण द्वैपायन को कहा गया है इसने वेदों का संकलन किया इसलिए ये वेद व्यास कहलाये
वेदों में विश्वास रखने वाला – आस्तिक
वेदों में विश्वास नही रखने वाला – नास्तिक
राजस्थान के इतिहास के पिता इलिग्टन निवासी कर्नल जेम्स टॉड को कहा जाता है इनकी एक प्रसिद्ध पुस्तक द एनाल्स एण्ड एक्टिविटीज ऑफ़ राजस्थान है
काल के आधार पर पर इतिहास को सामान्यतः तीन भागों में विभाजित किया गया है
- प्रागेतिहासिक काल – इस कल के लिखित साक्ष्य उपलब्ध नही है तथा इस काल की जानकारी का मुख्य आधार पुरातात्विक स्थल व पुरातात्विक स्रोत है है
भारत में पुरातात्विक विभाग का जनक अलेक्सजेंडर कनिंघम को कहा जाता है जबकि भारत में पुरातात्विक सर्वेक्षण विबाग की स्थापना लार्ड कर्जन के कल में हुई थी
राजस्थान में पुरातात्विक सर्वेक्षण का कार्य प्रारम्भ करने का श्रेय ACL कार्लाइल को जाता है
प्राग ऐतिहासिक कल में मानव पत्थर के औजारों का प्रयोग करता था इसलिए इस काल को पाषाणयुगीन सभ्यता कहा जाता है
इस काल में मानव को आग, पहिया की जानकारी मिल चुकी थी तथा मिश्रित कृषि (कृषि व पशुपालन )का प्रचलन शुरू हो चूका था
मानव के द्वारा किया गया पहला वैज्ञानिक अविष्कार पहिया था
कृषि के साथ साथ पशुपालन करना मिश्रित कृषि कहलाता है
- आद्य ऐतिहासिक काल – इस काल के लिखित साक्ष्य तो उपलब्ध है लेकिन इन्हें पढ़ा नही जा सका है अतः सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त नही होती है यह ताम्रयुगीन , कांस्य युगीन सभ्यताएं कहलाती है
मानव के द्वारा प्रयोग में लाई गई पहली धातु – ताम्बा
- ऐतिहासिक काल – इस काल के लिखित साक्ष्य उपलब्ध है तथा इन्हें सासनी से पढ़ा भी जा सकता है अतः इस कल की सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध होती है
इस कल को लौह युगीन सभ्यता का काल भी कहा गया है
अध्ययन की दृष्टि से राजस्थान के इतिहास को तिन भागों में बांटा गया है
- प्राचीन राजस्थान
- मध्य राजस्थान
- आधुनिक राजस्थान
प्राचीन सभ्यताओं के स्थल
- कालीबंगा – कालीबंगा का शाब्दिक अर्थ काले रंग की चूड़ियाँ होता है
- यह स्थल राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में घग्घर / सरस्वती नदी के किनारे स्थित है
- इस स्थल की खोज 1952 में अमलानंद घोष के द्वारा की गई जबकि कालांतर में इसका उत्खनन ब्रजवासी लाल तथा B K थापर के निर्देशन में किया गया
- दशरथ शर्मा ने इस स्थल को सिन्धु घटी सभ्यता की तीसरी राजधानी बताया है
- कांस्ययुगीन, नगरीय सभ्यता, मातृसतात्मक समाज
- इस स्थल की खुदाई नौ सत्रों में की गई
- इसा स्थल के भवन निर्माण में कच्ची ईंटों का प्रयोग किया गया है परन्तु यहाँ पर फर्श को पक्की, अलंकृत करने के साक्ष्य मिले है
- इस स्थल को दीन-हीन बस्ती के नाम से जाना गया है
- इस स्थल से जल की निकासी व्यवस्था का आभाव नजर अत है परन्तु यहाँ से प्रत्येक घर से कुएं के साक्ष्य मिले है
- इस स्थल से एक साथ एक ही समय में सो फसल उगने के साक्ष्य मिले है एवं सैट अग्निकुंड /हवनकुण्ड, खोपड़ी में छः छिद्र / शल्य चिकित्सा, बेलनाकार मोहरें आदि के अवशेष प्राप्त हुए है
- कालीबंगा से मिली मिटटी की वृषभाकृति को कला पोषण की दृष्टि से विशेष रूप से उल्लेख मिले है
- सिन्धु घाटी सभ्यता में अंतिम संस्कार की तीन विधियाँ प्रचलित थी
- पूर्ण समाधीकरण
- आंशिक समाधीकरण
- देह संस्कार
तीनों विधियों से अवशेष कालीबंगा से प्राप्त हुए है अतः इस स्थल को साम्प्रदायिक का स्थल कहा गया है
2. आहङ – आहङ सभ्यता राजस्थान के उदयपुर जिले में आयड़ नदी के किनारे स्थित है
- इसका स्थानीय नाम घुलकोट है
- इसके उपनाम – तम्रावती, आघाट दुर्ग, आघाटपुर
- ताम्रयुगीन सभ्यता, ग्रामीण सभ्यता, पितृसतात्मक समाज
- 1953 में इस स्थल की खोज अक्षय कीर्ति व्यास के द्वारा की गई परन्तु कालांतर में इसका उत्खनन रतनचंद अग्रवाल के निर्देशन में H D सांखलिया के सहयोग से किया गया
- इस स्थल के लोग लाल, भूरे मिट्टी के बर्तन प्रयोग में लाते थे
- इस स्थल से त्रिशूल के साक्ष्य, अन्नभण्डारण / अनाज के भण्डार, उल्टी तिपाई के मृदभांड, धान के प्रमाण अआदी के अवशेष मिलते है
- इस स्थल का प्रमुख उद्योग ताम्बा गलाना था जिसका केंद्र गिलुण्ड है जो वर्तमान में राजसमन्द जिले में स्थित है
- इस स्थल से यूनानी ताम्बे की मोहरे मिली है
- नोट – यहाँ से टेराकोटा वृषभ आकृतियाँ मिली है जिन्हें बनासियन बुल कहा जाता है
3 . गणेश्वर सभ्यता – यह सभ्यता स्थल राजस्थान के सीकर जिले में नीम का थाना नामक स्थान पर कांतली नदी के किनारे स्थित है
- इस स्थल से 99%उपकरण ताम्रनिर्मित प्राप्त हुए है अतः इस स्थल को ताम्रयुगीन सभ्यता की जननी कहा जाता है
- इस स्थल से मछली पकड़ने के कांटे प्राप्त हुए है तथा यहाँ पर मकान निर्माण में पत्थरों का प्रयोग हुआ है
- इस स्थल से कृपणवर्णी मृद भांड प्राप्त हुए है
4. बालाथल स्थल – यह स्थल राजस्थान के उदयपुर जिले में स्थित है
- यह एक ताम्र युगुन सभ्यता है
- इस स्थल की खोज 1993 में सिंध मिश्रा के द्वारा की गई
- इस स्थल को हडप्पा की तरह मृद भांड, ग्यारह कमरों का भवन, कपड़े के अवशेष, बैल व कुत्ते की हड्डियाँ,पुष्परोग के प्रमाण, योगीमुद्रा समाधान आदि के अवशेष प्राप्त हुए है
5 . बैराठ – यह पुरातात्विक स्थल राजस्थान के जयपुर जिले में विराटनगर में बाणगंगा / अर्जुन की गंगा नदीं के किनारे स्थित है
- यह क्षेत्र मत्स्य जनपद की राजधानी का क्षेत्र रहा है
- इस स्थल के बारे में जानकारी दयाराम साहनी के द्वारा प्रदान की गई
- यहाँ पर बीजक की पहाड़ी, भीमजी की डूंगरी, महादेवजी की डूंगरी स्थित है
- इस स्थल से मौर्ययुगीन \, पूर्व मौर्ययुगीन सभ्यता के अवशेष प्राप्त हुए है
- इस स्थल से गोल बौद्ध मंदिर, कपड़े के अवशेष प्राप्त हुए है
- इस स्थल से मौर्य सम्राट अशोक के दो लेख मिले है – भाब्रू फलक लेख तथा बैराठ लेख
- अशोक के बौद्ध होने का सबसे बड़ा प्रमाण भाब्रू फलक लेख है जिसमे अशोक कहता है मई बुद्ध,धम्म, संघ में विश्वास रखता है
- भाब्रू फलक लेख की खोज केप्टन बर्ट के द्वारा की गई थी परन्तु वर्त्तमान में यह कलकत्ता संग्रहालय में स्थित है
- नोट – यहाँ पर स्थित बनेङी, ब्रह्म कुण्ड, जीणगोर की पहाड़ियों में वृषभ , हिरण वनस्पतियों का चित्रण देखने को मिलता है
6 . रंग महल – यह स्थल राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में घग्गर नदी के किनारे स्थित है
7 . ओसियाना – यह स्थल राजस्थान के भीलवाड़ा में स्थित है
- इसका उत्खनन 1993 में प्रारंभ हुआ यहाँ से ताम्रपाषाण युगीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए है
8 . नगरी सभ्यता – यह स्थल राजस्थान के चितौड़गढ़ जिले में स्थित है प्राचीन काल में यह शिवि जनपद की राजधानी क्षेत्र रहा है
9.जोधपुरा – यह स्थल जयपुर में स्थित है
- इस स्थल से शुंग, कुषाणकालीन सभ्यता के अवशेष प्राप्त हुए है
- यह सभ्यता सबी नदी के किनारे स्तगित है तथा यहाँ से हाथी केदांत के अवशेष प्राप्त हुए है
10. सुनारी – यह स्थल झुंझुनूं के खेतड़ी में स्थित है यहाँ से लोहा प्राप्त करने की प्राचीनतम भट्टियाँ मिली है
11. तिलवाड़ा – यह स्थल बाड़मेर में लूणी नदी के तट पर स्थित है
12. रेढ – यह स्थल टोंक जिले में स्थित है
- यहाँ एशिया कासबसे बड़ा सिक्कों का भण्डार मिला है
- इस स्थल से ही कुछ गुप्तकालीन सिक्के प्राप्त हुए है
- इस स्थल से लौह सामग्री के विशाल भंडार मिले है अतः इसे प्राचीन भारत का टाटा नगर कहा गया है
13. नागर सभ्यता – यह स्थल राजस्थान के टोंक जिले में स्थित है इस का प्राचीन नाम मालवनगर है तथा इस नगर से गुप्तकालीन अवशेष प्राप्त हुए है
14.भीनमाल – यह स्थल राजस्थान के जालौर जिले में स्थित है यहाँ से गुप्तकालीन सभ्यता के अवशेष प्राप्त हुए है
- चीनी यात्री व्हेनसांग के द्वारा इस स्थान की यात्रा की गई
- कवि माघ, मंडन, ब्रह्मगुप्त आदि का सम्बन्ध इस स्थान है इसलिए इस स्थल को विद्वानों की स्थली भी कहा गया है
15. दर – यह स्थल राजस्थान के भरतपुर जिले में स्थित है इस स्थान से पाषाणकालीन सभ्यता से अवशेष प्राप्त हुए है
16. सौथी – यह स्थल राजस्थान के बीकानेर जिले में स्थित है
- 1953 में अमलानंद घोष के नेतृत्व में इस की खुदाई की गई
- इस स्थल को कालीबंगा प्रथम के नाम से भी जाना जाता है
17. ईसवाल – यह स्थल राजस्थान के उदयपुर जिले में स्थित है इस स्थल से लौह सभ्यता के अवशेष प्राप्त हुए है
18. डडीकर – यह स्थल राजस्थान के अलवर जिले में स्थित है
- इस स्थल से 5000 – 7000 वर्ष पुराने शैलचित्र प्राप्त हुए है
19. गरदड़ा – यह स्थल राजस्थान के बूंदी जिले में स्थित है
- इस स्थल से शैलचित्र प्राप्त हुए है
Important MCQ
Q.1 कौन सी सभ्यता है ,जहां उच्च कोटि के चावल का उत्पादन किया जाता था।
A.आहड़ सभ्यता
B.कालीबंगा सभ्यता
C.गणेश्वर सभ्यता
D.बालाथल सभ्यता
Ans. – A.आहड़ सभ्यता✅
Q.2 आहड़ सभ्यता से किस प्रकार के चूल्हे मीले है
A.गोलाकार आकृति के
B.आयताकार आकृति के
C.भट्टी के आकार के
D.चौकोर आकार के
Ans. – C.भट्टी के आकार के✅
Q.3 आहड़ सभ्यता से प्राप्त हुए मिट्टी के बर्तन किस रंग के हैं।
A.काले भूरे रंग के
B.लाल हरे रंग के
C.सफेद रंग के
D.लाल भूरे रंग के
Ans. – D.लाल भूरे रंग के✅
Q.4 राजस्थान की किस सभ्यता स्थल से 26 किस्म के मणि,6तांबे की मुद्राएं,3 मोहरे प्राप्त हुई हैं।
A.कालीबंगा सभ्यता
B.गणेश्वर सभ्यता
C.आहड़ सभ्यता
D. बागौर सभ्यता
Ans. – C.आहड़ सभ्यता✅
Q.5 धूलकोट के विध्वंस होने के बाद यहां के लोगों ने कौन से नए नगर बसाए।
A.गिलुण्डऔर भगवानपुरा
B.पछमता और रेलमंगरा
C.दामोदरपुरा
D.राशमी
Ans. – A.गिलुण्डऔर भगवानपुरा✅
Q.6 लोहा गलाने की भट्टी कहां से प्राप्त हुई है।
A.बालाथल
B.आहड़
C.गणेश्वर
D.रंग महल
Ans. – A.बालाथल✅
Q.7 किस स्थान से बुने हुए वस्त्र के अवशेष मिले हैं।
A.आहड़ सभ्यता
B.बैराठ सभ्यता से
C.बालाथल से
D.B,C दोनों
Ans. – D.B,C दोनों✅
Q.8 किस सभ्यता से 11 कमरों के एक बड़े भवन एवं दुर्ग जैसे चिन्ह प्राप्त हुए हैं।
A.सिंधु सभ्यता
B.आहड़ सभ्यता
C.बालाथल से
D.रंग महल से
Ans. – C.बालाथल से✅
Q.9 गणेश्वर सभ्यता से कितने प्रकार की मिट्टी के पात्र प्राप्त हुए हैं।
A.3
B.1
C.4
D.2
Ans. – D.2✅
Q.10 बेराठ राजस्थान के किस जिले में स्थित है।
A.जयपुर
B.सीकर
C.उदयपुर
D.भीलवाड़ा
Ans. – A.जयपुर✅
Q.11 बीजक की पहाड़ी और भीम डूंगरी का संबंध किस स्थान से हैं।
A.बैराठ से
B.बालाथल से
C.आहड से
D.रंग महल से
Ans. – A.बैराठ से✅
Q.12 राजस्थान में मौर्यकाल का प्रमुख केंद्र रहा हैं
A.आहड़
B.बालाथल
C.सुनारी
D.बैराठ
Ans. – D.बैराठ✅
Q.13 राजस्थान के किस सभ्यता स्थल से एक कमरे से चांदी की 36 मुद्राएं प्राप्त हुई है
A.बैराठ
B.बागौर
C.कालीबंगा
D.गणेश्वर से
Ans. – A.बैराठ✅
Q.14 36 चांदी की मुद्राओं में से कितनी भारतीय यूनानीयों शासकों की है।
A.28 मुद्राएं
B.25 मुद्राएं
C.24 मुद्राएं
D.26 मुद्राएं
Ans. – A.28 मुद्राएं✅
Q.15 36 चांदी की मुद्राओं में से कितनी पंचमार्क मुद्राए है
A.25
B.35
C.27
D.8
Ans. – D.8✅
Q.16 पांडवों ने 1 वर्ष का अज्ञातवास कहां बिताया था।
A.सुनारी
B.बागौर
C.गणेश्वर
D.विराटनगर में
Ans. – D.विराटनगर में✅