राजस्थान की अपवाह प्रणाली (Drainage System of Rajasthan)
Part -2
अंतः प्रवाह / आंतरिक प्रवाह की नदियाँ:-
– ऐसी नदियाँ जिनका जल न बंगाल की खाड़ी में न अरब सागर में जाता है अपितु धरातल पर ही विलुप्त हो जाता है। अन्तः प्रवाह नदी तंत्र कहलाता है।
– राजस्थान में आंतरिक प्रवाह है नदी तंत्र में सर्वाधिक जल पाया जाता है। (लगभग 60%)
– राजस्थान राज्य में ही अंतः प्रवाही नदी तंत्र पाया जाता है।
– “घग्घर नदी”:-
इसे मृत नदी तथा राजस्थान का शोक नदी आदि उपनाम से जाना जाता है।
– इस जलधारा का उदगम कालका माता का मंदिर शिवालिक की पहाड़ी हिमाचल प्रदेश से होता है।
– हरियाणा से पंजाब, हरियाणा में बहती हुई राजस्थान में प्रवेश तलवाड़ा गाँव टिब्बी तहसील हनुमानगढ़ से करती है।
– सामान्यतय हनुमानगढ़ में बहती हुई श्रीगंगानगर में विलुप्त हो जाती है। परंतु जब इस नदी में जल अधिक होता है तब इसका जल फोर्ट अब्बास बहावलपुर पाकिस्तान तक जाता है।
– पाकिस्तान में इस नदी का प्रवाह क्षेत्र अकरा जबकि राजस्थान में इस नदी का प्रवाह क्षेत्र नाली / पाट कहलाता है।
– पौराणिक मान्यता के अनुसार जिस मार्ग पर सरस्वती बहती थी उसी मार्ग पर घग्घर बहती है।
– ऋग्वेद में राजस्थान से संबंधित सरस्वती व द्रषवती दो नदियों के नामो का उल्लेख मिलता है।
– ONGC कंपनी सरस्वती नदी के मार्ग को खोजने का प्रयास कर रही है।
– घग्घर नदी आंतरिक प्रवाह की सबसे लंबी नदी है तथा यह राजस्थान की एकमात्र अंतरराष्ट्रीय नदी है।
– चंबल नदी के पश्चात सर्वाधिक मिट्टी का अपरदन घग्घर के द्वारा किया जाता है।
– हनुमानगढ़ जंक्शन का धरातल से नीचा पेटा है जिससे घग्घर में उफान आने पर हनुमानगढ़ जंक्शन डूब जाता है।
– “कांतली नदी”:-
इस जलधारा का उदगम खंडेला की पहाड़ी सीकर से होता है।
– सीकर, झुंझुनू में बहती हुई झुंझुनू, चूरू की सीमा पर विलुप्त हो जाती हैं।
– यह जलधारा झुंझुनू जिले को दो भागों में विभाजित करती है अतः इसे कांतली नदी कहते है।
– इस नदी का प्रवाह क्षेत्र तोरावटी के नाम से जाना जाता है।
– नीम का थाना सीकर में इस नदी के किनारे गणेश्वर सभ्यता का विकास हुआ।
– गणेश्वर को भारत में ताम्र युगीन सभ्यता की जननी कहा जाता है।
– कांतली नदी राजस्थान में पूर्ण बहाव के दृष्टिकोण से आंतरिक प्रवाह की सबसे लंबी नदी है।
– “काकनी नदी”:-
इसे काकनेय नदी, मसूरदी नदी आदि नामों से जाना जाता है।
– इस जलधारा का उदगम जैसलमेर केउत्तर में स्थित कोटडी गांव से होता है तथा जैसलमेर के दक्षिण में स्थित बुज झील में यह अपना जल गिराती है।
– यह आंतरिक प्रवाह की सबसे छोटी नदी है। (17km)
– यह मीठे पानी की मौसमी नदी है।
-“रूपारेल नदी”:-
इस नदी का उदगम उदयनाथ की पहाड़ी थानागाजी सरिस्का अलवर से है।
– अलवर में बहती हुई कुशलपुर गाँव भरतपुर में विलुप्त हो जाती है। इस नदी को ही वरहा नदी, लश्वरी नदी आदि उपनाम से जाना जाता है।
– रियासत काल में इस नदी के जल को लेकर अलवर व भरतपुर रियासतों में विवाद रहता था।
– भरतपुर महाराजा सूरजमल ने इस नदी की बाड की विनाशलीला को समाप्त करने के लिए मोती झील का निर्माण करवाया था।
– मोतीझील को भरतपुर की लाइफ लाइन कहा जाता है। जबकि भरतपुर महाराजा सूरजमल को जाटो का प्लेटो या जाटो का अफलातून कहा जाता है।
– जयपुर की लाइफ लाइन अमीनशाह नाला को कहा जाता है।
– “साबी नदी”:-
इस नदी का उदगम सेवर की पहाड़ी त्रिवेणीधाम जयपुर से होता है।
– जयपुर, सीकर पुनः जयपुर, अलवर में बहती हुई हरियाणा के पटौदी के समीप वीलुप्त हो जाती है।
– यह अलवर जिले की सबसे लंबी नदी है इस नदी के किनारे जयपुर में जोधपुरा सभ्यता स्थल स्थित है जहां से हाथी दांत के अवशेष प्राप्त हुए हैं।
– साबी की सहायक जलधारा सोता नाला (कोटपूतली) है।
– इस नदी पर कहावत प्रचलित है-
अकबर बाँधी ना बंदु ना रेवाड़ी जाऊ कोट तव्वाकर निकलू साबी नाम कहाऊ।
– “मेंथा नदी”:-
इस जलधारा का उदगम मनोहरपुरा की पहाड़ी जयपुर से होता है।
– जयपुर, नागौर में बहती हुई सांभर झील में अपना जल गिराती है ।
– यह राजस्थान की सबसे खारी नदी है। तथा इस नदी के किनारे नागौर जिले में जैनियों का तीर्थ स्थान लूणवा स्थित है।
– “रुपनगढ़ नदी”:-
इस जलधारा का उदगम किशनगढ़ अजमेर से होता है तथा सांभर झील में यह नदी अपना जल गिराती है।
– इस नदी के किनारे सलेमा बाद में निंबार्क संप्रदाय की पीठ स्थित है।
● महत्वपूर्ण तथ्य:-
– पार्वती नदी राजस्थान व मध्य प्रदेश के बीच दो बार सीमा बनाती हैं।
– सीसारमा, बुझडा नदियाँ उदयपुर की पिछोला झील को भरने वाली नदियाँ है।
– राजस्थान की एकमात्र नित्यवाही नदी चंबल है।
[23/05, 11:14 PM] Anita Ji: ● प्रमुख त्रिवेणी संगम:-
1. बनास, बेड़च, मेनाल- बीगोद (भीलवाड़ा)
2.बनास, खारी, डाई- राजमहल (टोंक)
3. बनास, चम्बल, सीप- खण्डार गाँव (सवाईमाधोपुर)
4. माही, सोम, जाखम- बेणेश्वर (डूंगरपुर)
5. बनास, बांडी, मासी- जोधपुरिया (टोंक)
● राजस्थान के प्रमुख जलप्रपात :-
1. हिमताल जलप्रपात:- मांगलि नदी (बूँदी)
2. मैनाल जलप्रपात:- मैनाल नदी (भीलवाड़ा)
3. सूर्या जलप्रपात:- चंबल नदी (चितौड़गढ़)
4. दिर जलप्रपात:- काकुण्ड नदी (भरतपुर)
5. अरणा – जरणा जलप्रपात:- जोधपुर (शुष्क जलप्रपात)
● “नदियों के किनारे स्थित प्रमुख दुर्ग”:-
1. मनोहर थाना दुर्ग:- परवन, कालीखोह नदी
2. चित्तौड़गढ़ दुर्ग:- गंभीरी व बेड़च नदी
3. शेरगढ़ दुर्ग:- परवन नदी
4. भैंसरोड़गढ़ दुर्ग:- चंबल व बामनी नदी
5. गढ़ पैलेस कोटा:- चंबल नदी
6. भटनेर दुर्ग:- घग्घर नदी
7. गागरोन का किला:- कालीसिंध व आहू नदी
● “नदियों के किनारे स्थित प्रमुख शहर”:-
1. विजयनगर, गुलाबपुरा, आसींद:- खारी नदी
2. सवाईमाधोपुर, टोंक, नाथद्वारा, रेलमगरा, बीरसलपुर:- बनास नदी
3. शिवराज, समैलपुर, एरिनपुरा:- जवाई नदी
4. कोटा,केशोरायपाटन, भैंसरोडगढ़:- चंबल नदी
5. जालौर, सोजत:- सुकड़ी नदी
6. सूरतगढ़, अनूपगढ़ हनुमानगढ़:- घग्घर नदी
7. झालावाड़:- कालीसिंध नदी
8. आबूरोड, चंद्रावती, चंद्रागिरी:- पश्चिमी बनास नदी
9. गोविन्दगढ़, अजमेर बिलाड़ा:- लूनी नदी
10. गलियाकोट, पीपलकूट:- माही नदी