राजस्थान की जलवायु

राजस्थान की जलवायु – 

– किसी भी स्थान की दीर्घकालीन अवस्था जलवायु जबकि अल्पकालीन अवस्था मौसम कहलाती है
– जलवायु का निर्धारण 30 वर्ष की औसत दशाओं के आधार पर होता है।
– राजस्थान की जलवायु उपोष्ण कटिबंधीय जलवायु है।
– राजस्थान का बांसवाड़ा जिला उष्ण कटिबंध में जबकि शेष 32 जिले शीतोष्ण कटिबंध में स्थित है।

शीत:- 66 1/2° उत्तरी अक्षांश
-शीतोष्ण:- 23 1/2° उत्तरी अक्षांश / कर्क रेखा
– उष्णकटिबंधीय:- 0° भूमध्य रेखा / विषुवत रेखा
– शीतोष्ण :- 231/2° दक्षिणी अक्षांश / मकर रेखा
– शीत:- 661/2° दक्षिणी अक्षांश

– राजस्थान का औसत वार्षिक तापमान 38℃
– तापमान मापने वाला यंत्र- थर्मामीटर ।
– वायुदाब मापने वाला यंत्र- बैरोमीटर ।

● जुलाई माह में विभिन्न क्षेत्रों का वायुदाब :-
– 997 mb:- जैसलमेर, बीकानेर, गंगानगर
– 998 mb:- बाड़मेर, जोधपुर, चूरु
– 999 mb:- जालौर, पाली, अजमेर
-1000 mb:- सिरोही, उदयपुर, प्रतापगढ़

● जनवरी माह में विभिन्न क्षेत्रों में वायुदाब:-
– 1018 mb:- जैसलमेर, जोधपुर, पाली, चित्तौड़गढ़, झालावाड़
– 1019 mb:- बीकानेर, सीकर, चूरू।

● “राजस्थान ऋतु”:-
1. ग्रीष्मऋतु :- (मार्च – जून)
– 21 जून को सूर्य की सीधी किरणें कर्क रेखा पर पड़ती है। अतः भयंकर गर्मी होती है।
– 21 जून का दिन सबसे बड़ा दिन तथा इस समय सबसे छोटी रात होती है। ग्रीष्म ऋतु में चलने वाली गर्म शुष्क हवाओं को लू कहते हैं। जबकि गर्म चक्रवात / संवहनीय पवनों को भभूलिया / ममूलिया कहा जाता है।
– सबसे गर्म शुष्क स्थान:- फलोदी
– सबसे गर्म महीना:- जून
– सबसे गर्म जिला:- चुरु
– दैनिक तापांतर वाला जिला:- जैसलमेर
– वार्षिक तापांतर वाला जिला:- चूरु
– सर्वाधिक आंधियाँ:- गंगानगर (27 दिन), हनुमानगढ़
– न्यूनतम आंधियाँ:- झालावाड़ (3 दिन), चित्तौड़गढ़
– जून – जुलाई के महीने में दक्षिण पूर्वी क्षेत्रों में आने वाला तूफान वज्र तूफान कहलाता है, सर्वाधिक वज्र तूफान झालावाड़ में आते हैं जबकि सबसे कम बाड़मेर, बीकानेर में आते हैं।
– वाष्प के कणों के साथ चलने वाली लू को झाला कहते हैं।
– ओस माह में चलने वाली हवा को सिली जबकि ज्येष्ठ माह में चलने वाली गर्म हवा को तवा कहा जाता है।

2. “वर्षा ऋतु”:-
मानसून शब्द की उत्पत्ति अरबी भाषा के मौसीम से हुई है।
– राजस्थान में सर्वप्रथम वर्षा अरबसागर की ओर से आने वाली मानसूनी पवनों से होती है। परंतु यह पवने अरावली पर्वतमाला के समानांतर निकल जाती है। तथा उनसे राजस्थान में अच्छी वर्षा नहीं हो पाती हैं।
– राजस्थान में मानसून का प्रवेश द्वार- बांसवाड़ा
(15 जून)
– बंगाल की खाड़ी की ओर से आने वाली मानसूनी पवनो के रास्तों में अरावली पर्वतमाला बाधा के रूप में कार्य करती है अतः अरावली का पूर्वी क्षेत्र अच्छी वर्षा को प्राप्त करता है। जबकि अरावली के पश्चिम की ओर कम वर्षा प्राप्त होती है अतः इसे वृष्टि छाया क्षेत्र के नाम से जाना जाता है।
– दक्षिण अरावली का क्षेत्र बंगाल की खाड़ी व अरब सागर दोनों ओर से वर्षा को प्राप्त करता है।
– राजस्थान में औसत वार्षिक वर्षा:- 57. 5 सेंटीमीटर
– राजस्थान में सर्वाधिक वर्षा वाला जिला:- झालावाड़, बांसवाड़ा।
– राजस्थान / देश में न्यूनतम वर्षा वाला जिला:- जैसलमेर।
– औसत वर्षा वाला जिला:- अजमेर।
– सर्वाधिक वर्षा / आद्रता वाला स्थान:- माउंट आबू
– न्यूनतम वर्षा वाला स्थान:- सम गाँव (जैसलमेर)
– सम गाँव राजस्थान का पूर्णतः वनस्पति विहीन गांव है।
– 50 सेंटीमीटर वर्षा रेखा अरावली पर्वतमाला के समानांतर गुजरती है।
– 25 सेंटीमीटर वर्षा रेखा पश्चिम रेतीले मैदान को दो भागों में विभाजित करती है।
– राजस्थान में दक्षिण पूर्व से उत्तर पश्चिम की ओर वर्षा की मात्रा में कमी आती है।
– राजस्थान में मानसून का प्रत्यावर्तन काल अक्टूबर से मध्य नवंबर माना जाता है तथा इस समयावधि में राजस्थान की 10% वर्षा होती है।

खण्ड वृष्टि:-
किसी भी स्थान पर वर्षा की कमी होना परंतु वहां अचानक तेज वर्षा होना खण्ड वृष्टि कहलाता है।

– “अनावृष्टि”:-
वर्षा की कमी /अकाल।

– ‘अतिवृष्टि”:- 24 घंटे में 20 – 30 सेंटीमीटर वर्षा होना।
– राजस्थान में अक्टूबर की गर्मी को आसोज की गर्मी कहा जाता है। तथा दीपावली के बाद गुलाबी सर्दी की शुरुआत होती है।

3. “शीत ऋतु “:- (अक्टूबर – फरवरी)
-शीत ऋतु में भूमध्यसागरीय चक्रवात / पश्चिमी विक्षोभों से होने वाली वर्षा को मावठ कहते हैं।
– यह वर्षा रबी की फसल के लिए लाभदायक होती है।
– भारत में सर्वप्रथम मावठ पंजाब में जबकि राजस्थान में सर्वप्रथम मावठ श्री गंगानगर में होती है।
– सबसे ठंडा महीना:- जनवरी
– सबसे ठंडा जिला:- चूरु
– सबसे ठंडा स्थान:- माउंट आबू (सिरोही)
– माउंट आबू को राजस्थान का बर्खोयांस्क कहा जाता है।
– माउंट आबू पर नक्की झील राजस्थान की एकमात्र झील है जो सर्दी के दिनों में जम जाती है।

● “वर्षा के आधार पर जलवायु वर्गीकरण”:-

– वर्षा के आधार पर राजस्थान की जलवायु को पाँच भागों में विभाजित किया गया है-
1. “शुष्क जलवायु प्रदेश”:- 0 – 25 सेंटीमीटर वर्षा
– इस प्रदेश पर मरुदिभद, कंटीली झाड़ियां प्रकार की वनस्पति पाई जाती है ।

2. “अर्द्ध शुष्क प्रदेश”:- 20 – 40 सेंटीमीटर वर्षा
– इस भू-भाग पर कंटीली झाड़ियां, स्तेपी प्रकार की वनस्पति पाई जाती है ।

3. “उपआर्द्र जलवायु प्रदेश”:- 40 – 60 सेंटीमीटर वर्षा
– इस प्रदेश में पर्वतीय वनस्पति देखने को मिलती है।

4. “आर्द्र जलवायु प्रदेश”:- 60 – 80 सेंटीमीटर वर्षा
– इस प्रदेश में पतझड़ वनस्पति पाई जाती है।

5. “अति आर्द्र जलवायु प्रदेश”:- 80- 150 सेंटीमीटर वर्षा
– इस भौतिक प्रदेश में सवाना प्रकार की वनस्पति पाई जाती है।

● कोपेन, ट्रिवाथा, थार्नवेट के अनुसार जलवायु वर्गीकरण:-

● “कोपेन वर्गीकरण”:- (1918 में वर्गीकरण किया)
– कोपेन के जलवायु वर्गीकरण का आधार वनस्पति है तथा इसके अनुसार राजस्थान में चार जकवायु प्रदेश हैं।

1. Aw / उष्णकटिबंधीय आर्द्र जलवायु प्रदेश:-
जिस प्रकार की जलवायु माउंट आबू, उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, चित्तौड़गढ़, झालावाड़, कोटा जिलो के क्षेत्र में पाई जाती है।
– प्रतिनिधि जिला:- डूंगरपुर
– इस प्रदेश में घनी प्राकृतिक वनस्पति तथा सवाना तुल्य घास के मैदान पाए जाते हैं।

2. Cwg / उपआर्द्र जलवायु प्रदेश:-
इस प्रकार की जलवायु राजसमंद, अजमेर, भीलवाड़ा, बूंदी, दौसा, जयपुर, कोटा, बारां, मेवात क्षेत्र क्षेत्र, डांग क्षेत्र जिलों में पाई जाती है।
– प्रतिनिधि जिला:- टोंक
– इस प्रदेश में मानसूनी पतझड़ वनस्पति पाई जाती है तथा इस क्षेत्र में कृषि उत्पादन सर्वाधिक होता है

3. BShw / अर्द्ध शुष्क जलवायु प्रदेश:- इस जलवायु प्रदेश में सीकर, झुंझुनू, बाड़मेर, जालौर, पाली, नागौर, अजमेर आदि का भू-भाग शामिल होता है।
– प्रतिनिधि जिला:- नागौर
– इस प्रदेश में स्टेपी वनस्पति पाई जाती है।

4. BWhw / शुष्क उष्ण जलवायु प्रदेश:-
इस प्रदेश में जैसलमेर, बीकानेर, हनुमानगढ़, पश्चिमी जोधपुर आदि का भू-भाग शामिल होता है
– इस प्रदेश में मरुदभिद वनस्पति पाई जाती है।
– प्रतिनिधि जिला:- बीकानेर

● ट्रिवार्थी के अनुसार जलवायु वर्गीकरण :-
– कोपेन के वर्गीकरण को सरल बनाने का प्रयास ट्रिवार्थी ने किया तथा इसके अनुसार ही राजस्थान में चार जलवायु प्रदेश है –

1. Aw / उष्णकटिबंधीय आर्द्र जलवायु प्रदेश :- इस जलवायु प्रदेश में आबू, उदयपुर, डूंगरपुर, चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़, झालावाड़, कोटा, बारा आदि जिलों का क्षेत्र शामिल होता है।
– प्रतिनिधि जिला:- डूंगरपुर

2. Caw / अर्द्ध उष्ण आर्द्र जलवायु प्रदेश:-
इस जलवायु प्रदेश में जयपुर, अलवर, दौसा, भरतपुर, सवाई माधोपुर, करौली, धौलपुर आदि जिलों का क्षेत्र शामिल है।
– प्रतिनिधि जिला:- सवाई माधोपुर

3. Bsh / उष्ण व अर्द्ध उष्ण जलवायु प्रदेश:-
इस जलवायु प्रदेश में सिरोही, राजसमंद, जालौर, बाड़मेर, पूर्वी जोधपुर, नागौर, सीकर, झुंझुनू, चूरू आदि जिलों का क्षेत्र शामिल होता है।
– प्रतिनिधि जिला:- नागौर

4. Bwh / मरुस्थलीय शुष्क जलवायु प्रदेश:-
इस प्रकार की जलवायु पाकिस्तान की सीमा के सहारे – सहारे मरुस्थलीय प्रदेश में पाई जाती है।
– प्रतिनिधि जिला:- जैसलमेर

● थार्नवेट के अनुसार जलवायु वर्गीकरण:- – भौगोलिक रूप से इस वर्गीकरण की सर्वाधिक मान्यता है।
थार्नवेट के अनुसार वर्गीकरण का आधार वर्षा, तापमान, वाष्पीकरण ।

– थार्नवेट के अनुसार राजस्थान के चार जलवायु प्रदेश है :-

1. CA’w / उपआर्द्र / आर्द्र जलवायु प्रदेश:-
– इस जलवायु प्रदेश में उदयपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, चित्तौड़गढ़, आसींद, कोटा, झालावाड़, बांरा आदि क्षेत्र शामिल होते हैं।
– प्रतिनिधि जिला:- डूंगरपुर

2. DA’w / अर्द्ध शुष्क जलवायु प्रदेश:-
यह थार्नवेट का सबसे बड़ा जलवायु प्रदेश है इसमें उत्तरी चित्तौड़, सिरोही, पूर्वी जालौर, अजमेर, पाली, बूंदी, सवाई माधोपुर, करौली, धौलपुर, झुंझुनू, जयपुर, नागौर आदि जिलो का क्षेत्र शामिल होता है।
– प्रतिनिधि जिला:- अजमेर

3. DB’w / शुष्क अर्द्धशुष्क / मिश्रित जलवायु प्रदेश:-
इस भौतिक प्रदेश में श्री गंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, चूरू जिलो का क्षेत्र शामिल होता है।
– प्रतिनिधि जिला:- बीकानेर

4. EA’d / उष्णकटिबंधीय जलवायु प्रदेश:-
इस प्रकार की जलवायु बाड़मेर, जैसलमेर, पश्चिम जोधपुर आदि जिलों के क्षेत्र में पाई जाती है।
– प्रतिनिधि जिला:- जैसलमेर

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